Katyayani Maa ( कात्यायिनी ) Puja Vidhi, Mantra, Stuti, Swaroop : Navratri 2022 Indian Festivals हिंदी by Pushkar Agarwal - 29th March 202030th September 20220 Katyayani Maa : नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायिनी की पूजा की जाती है। इनके जन्म के बारे में अलग अलग कहावत है स्कंद पुराण और वामन में। स्कंद पुराण में मान्यता है की देवी के यह स्वरूप का जन्म प्रभु के नैसर्गिक क्रोध के कारण हुआ था और वामन में यह लिखा गया है कि सभी देवताओ की शक्ति को मिलाकर माँ के यह स्वरुप का जन्म हुआ था । इनको यह स्वरुप कात्यायन ऋषि मुनि ने दिया था इसलिए इनका नाम कात्यायिनी अभिनिहित किया गया। इन्होने पार्वती के द्वारा अर्पित किये गए सिंह पर सवारी करके महिषासुर का विनास किया था। https://www.youtube.com/watch?v=LQ6zcui5byw माँ कात्यायिनी मंत्र / Katyayani Maa Mantra ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥ प्रार्थना और पूजा विधि चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन । कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी
Skandamata ( स्कंदमाता ) Aarti, Mantra, Bhog in Hindi हिंदी Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 29th March 202021st May 20210 Skandamata: स्कंद माता की आरती चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर होती है। इन माता की सवारी सिंह होती है और इनकी गोद में छह मुख वाले स्कंदकुमार विराजमान होते है। इन माता की पूजा करके भक्तों को संतान की प्राप्ति होती है और माँ अपने आशीर्वाद से भक्तों के सारे दुश्मनों का सर्वविनाश कर देती है। इस सुन्दर अवसर पर आपको नीचे दिए मंत्रो का पूजा करने के वक्त जाप करना चाहिए और माँ की आरती विधि विधानों के साथ करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको माँ का आशीर्वाद मिलेगा और अपनी मनोकामनाओ की पूर्ति होगी। https://www.youtube.com/watch?v=paoY7I19nD4 स्कंदमाता का स्तुति मंत्र/ Skandamata ka stuti mantra या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्कंदमाता की प्रार्थना / Skandamata
Kushmanda Devi: Aarti, Bali, Mantra, Shlok, Upasana. Indian Festivals हिंदी by Pushkar Agarwal - 27th March 202021st May 20210 इस समस्त संसार को जन्म देने वाली माता कुष्माण्डा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। माँ ने समस्त अंधकार का विनाश करके इस संसार की रचना की और सृष्टि की रचना करने के लिए ही इनका नाम कुष्माण्डा अभिहित किया गया और इसलिए भी इनको आदिशक्ति भी कहा गया है। माता की आठ भुजाएं है इनमें से सात हाथो में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। अंतिम हाथ में सभी निधियों और सिद्धियों को प्रदान करने वाली माला है। अपनी मंद, हल्की हँसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी माँ कूष्माण्डा कहलाती हैं। इन देवी की सच्चे मन से पूजा
Chandraghanta Maa ( चंद्रघंटा ): Mantra, Aarti, Katha, Roop, Song. Indian Festivals हिंदी by Pushkar Agarwal - 26th March 202021st May 20210 माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। इन माँ का स्वरुप राक्षसों का खात्मा करने ले लिए जाना जाता है। वे अपने हाथो में गदा, धनुष , त्रिशूल अपने भक्तो के दुख संकट दूर करने के धारण किये रहती है और वह अपने सच्चे भक्त को यश, कीर्त, और शांति प्रदान करती है। आगे जानिए माता चंद्रघंटा के बारे में सब कुछ। माँ चंद्रघंटा का रूप माता चंद्रघंटा का स्वरुप अत्यंत शांति और सौम्यता प्रदान करने वाला है। इन्होने अपने 10 हाथो में कमल और कमडंल के अतिरिक्त अस्त-शस्त्र धारण किये हुए है। माता के माथे पर विराजमान चाँद इनकी पहचान है और इस अर्ध चन्द्रमा के वजह से ही इनका नाम चंद्रघंटा है । माता एवं इनकी सवारी का देह सोने के सामान प्रकाशवान है और इसी
ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini Maa) : मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप, कहानी, श्लोक, उपासना | हिंदी Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 24th March 202021st May 20210 माता ब्रह्मचारिणी की कहानी | Story of Brahmacharini Maa https://www.youtube.com/watch?v=ntDDwelkxOU इन माता का नाम ब्रह्मचारिणी इसलिए पड़ा क्योकि इन्होने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। इसकी वजह से इनका नाम तपश्चारिणी मतलब ब्रह्मचारिणी से अभिहित किया गया। ब्रह्मचारिणी शब्द ब्रह्म अर्थात् तपस्या और चारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली से बना है। इन माता की पूजा अर्चना करने भक्तों को वैराग्य, सदाचार, तप, त्याग और संयम में विस्तार होता है। इन माता का स्वरुप बहुत ही ज्योतिर्मय और भव्य है। इनके बाएं हाथ में कमण्डल और दाएं हाथ में जप की माला होती है। देवी ने पूर्वजन्म में हिमालय के भवन में पुत्री के रूप में जन्म लिया और नारद जी की आज्ञा से भगवान शिव के लिए घोर तपस्या की थी। सिर्फ फूल -फल का भोजन करके इन्होने एक हजार साल बिताये और सो साल सब्ज़ियो के
Shailputri: Mantra, Aarti, Puja, Katha. मां शैलपुत्री की पूजा, जानें व्रत कथा, मंत्र, आरती और भोग हिंदी Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 24th March 202021st May 20210 नवरात्रि का पहला दिन शैल पुत्री माता के पूजन के लिए होता। हिमालय पर्वत के भवन में बेटी के रूप में जन्म लेनी वाली कन्या को माता शैल पुत्री कहा जाता है। माँ शैल पुत्री की पूजा विधि ( Shailputri Puja Vidhi ) माता का स्वरुप बहुत ही शुभ और पवित्र मन जाता है। माता की सवारी वृषभ है और उनके एक हाथ में कमल तो दूसरे हाथ में त्रिशूल है। माँ शैल पुत्री पुरे हिमालय पर राज करती है। इनकी पूजा करने लिए इनके चित्र को चौकी पर लाल रंग का कपडा बिछाकर रखे और फिर इनके ऊपर केसर के माध्यम से शं लिखकर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखे। फिर लाल रंग के पुष्पों को हाथ में लेकर माँ का दयान करे और इनके मंत्र को
Chaitra Navratri 2022: इस नवरात्रि में 400 सालों बाद बन रहा है ये महासंयोग | Indian Festivals हिंदी by Pushkar Agarwal - 19th March 202030th September 20220 Navratri 2020: 25 मार्च से चैत्र नवरात्रि आरंभ होने वाली है। इसी शुभ दिन से ही हिन्दू नववर्ष की भी शुरुआत होती है। हर नवरात्री में माँ दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों को पूजा जाता है। इस नवरात्रि की यह खास बात है की यह पुरे 9 दिन मनाई जाएगी। माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में भगवान राम और माँ दुर्गा का जन्म हुआ था। चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही हर वर्ष चैत्र नवरात्रि आरंभ होती है। इस बार चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 24 मार्च दोपहर 2 : 57 से शुरू होकर 25 मार्च दोपहर 5 : 26 बजे तक रहेगी। बताया जा रहा है कि ऐसा शुभ संयोग बहुत सालों बाद बन आ रहा है और इसलिए इस बार 5 रवि,
Diwali 2021 – Date, Celebrations, History, Rangoli, Greetings Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 13th March 202021st May 20210 Let us know something about DiwaliDiwali is also known as Deepavali is celebrated not only by Hindus but also by Jains, Sikhs and Newar Buddhists. This festival is related to kali Puja, Bandi Chhor Divas, Tihar, Swati, Sohrai and Bandna.For this beautiful occasion, people prepare themselves weeks before its arrival.They decorate their houses with beautiful colors, diyas, lights (Jhalar), the floor is decorated with rangoli, etc. They wear new clothes, new shoes and they try to look their best on this auspicious occasion.This occasion is four to five days long, and it symbolizes the spiritual "victory of light over darkness, good over evil and knowledge over ignorance," Light stands here for knowledge and consciousness. हिंदी में दीपावली के बारे में पढ़ने के
No Smoking Day 2021: History, Date & Tips International Festivals by Pushkar Agarwal - 11th March 202021st May 20210 No Smoking Day: This occasion is celebrated internationally on every second Wednesday of March every year. The main intention of this day is to raise awareness and to educate people to quit smoking. Let us dive deep and know more about this day. No Smoking Day: History No smoking day movement was first observed on the day of Ash Wednesday in 1984 in the UK or the United Kingdom and from there it was recognized as a yearly celebration to save people from the hazardous effects of smoking. This day aims to help people leave smoking for their whole life. According to various studies, this movement is very fruitful because at least one out of the ten people give up smoking on this
Holi Story in Hindi with Pictures | होली की कहानी | Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 5th March 202021st May 20210 Holi Story in Hindi इस आर्टिकल में जाने होली की सच्ची कहानी हिंदी में ( Holi Story in Hindi ) और जाने की आखिर क्यों होली मनाई जाती है? Know the story of Holi in English:- The True Holi Story With Pictures in English 1) एक समय की बात है जब दानव राजा "हिरण्यकश्यप" ने पृथ्वी के सभी राज्यों को जीत लिया था। 2) अपने घमंड के कारण उसने अपने राज्य में सबको आदेश दिया की सिर्फ उसकी ही पूजा कि जाएगी। 3) लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु को ही मानता था और अपने पिता की पूजा करने से उसने मना कर दिया। 4) इसी वजह से वह अपने पुत्र को मारने के लिए अनेक प्रयास करता था परन्तु हर बार भगवान विष्णु