Top 186 Raksha Bandhan Quotes for your Golden Brother & Sister Indian Festivals हिंदी by Pushkar Agarwal - 4th July 202021st May 20210 Raksha Bandhan Wishes: This is a popular, traditionally Hindu, annual rite, or ceremony, which is central to a festival of the same name, celebrated in India, Nepal and other parts of the Indian subcontinent, and among people around the world influenced by Hindu culture. Below you will get the best Raksha Bandhan Wishes for your lovely brothers & sisters in both Hindi & English. Also see:- 13 Best Raksha Bandhan Video Songs that will make you feel special Raksha Bandhan images 1. “ We gain and lose things every day. But trust me on one thing.You’ll never lose me. I will always be here. Happy Raksha Bandhan!”2. “We laugh and cry, we play and fight. We shared moments of happiness and sorrows, which made Pages: 1 2 3 4 5 6 7 8
141 Best Guru Purnima Quotes to thank your Teachers Indian Festivals हिंदी by Pushkar Agarwal - 1st June 202021st May 20210 https://www.youtube.com/watch?v=68pJ4uQkh4g Why Guru Purnima is Celebrated? Guru Purnima is a beautiful day to memorize our gurus who guided us and supported us to achieve what we desire in our life. The term " Guru " has an ironic meaning because the " Gu " means darkness and " Ru " means the eradication of darkness. Combined together, the word reflects its true meaning and signifies Guru the one who illuminates our mind and eliminates all the darkness from our daily lives. This day is celebrated largely by Hindus, Jains, and Buddhists all over India on a Full moon day of Shaka Samvat according to the Hindu Calendar. On this auspicious day, students worship and thank their teachers for illuminating their lives with their valuables Pages: 1 2 3 4 5 6 7 8 9
Diwali in Hindi 2020 | दिवाली इतिहास, तारीख, क्यों मनाई जाती है | हिंदी by Pushkar Agarwal - 12th April 202021st May 20210 Diwali in Hindi:- सबसे पहले, मैं आपको अपने दिल से आने वाली दिवाली की हार्दिक बधाई देना चाहता हूँ:) दिवाली इतना प्रसिद्ध त्यौहार है की न केवल हिंदुओं द्वारा बल्कि जैन, सिखों और बौद्धों द्वारा भी यह उत्सव मनाया जाता है। यह त्योहार काली पूजा, बांदी चोर दिवस, तिहाड़, स्वाति, सोहराई और बंदना से संबंधित है। इस खूबसूरत अवसर के लिए लोग पहले से ही तैयारियाँ करने लगते है। यह उत्सव चार से पांच दिन तक चलता है और यह उत्सव अंधेरे पर प्रकाश की जीत और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। क्या आपको पता की दिवाली क्यों मनाई जाती है ? Tap here to read about Diwali in English. दिवाली क्यों मनायी जाती है? ( Why Diwali is celebrated ? ) दिवाली निम्नलिखित पारंपरिक कारणों से मनाया जाता है: - दुनिया भर
( Mahagauri Mata ) माता महागौरी: पूजा का महत्व , मंत्र, आरती, स्वरुप. हिंदी Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 31st March 202021st May 20210 Mahagauri Mata: नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की आराधना की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का आठवाँ स्वरुप माता महागौरी हैं। इन्हें महागौरी के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योकि इनका रंग बहुत से साफ और गौरा है । ऐसा माना जाता है की अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण की प्राप्ति की थी। तभी से इन्हें धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, उज्जवला स्वरूपा महागौरी, सांसारिक ताप और शारीरिक मानसिक को दूर करने वाली माता महागौरी के नाम से अभिनिहित किया गया। महागौरी देवी मंत्र श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥ महागौरी देवी आरती / Mahagauri Mata Aarti जय महागौरी जगत की माया । जया उमा भवानी जय महामाया ।। हरिद्वार कनखल के पासा । महागौरी तेरा वहां निवासा ।। चंद्रकली ओर ममता अंबे । जय शक्ति जय जय मां जगदंबे ।। भीमा देवी विमला माता । कौशिकी देवी जग
Kalratri Mata (कालरात्रि): Swaroop, Kahani, Shlok, Mantra, Aarti. Indian Festivals हिंदी by Pushkar Agarwal - 31st March 202021st May 20210 Kalratri Mata: कालरात्रि माँ की पूजा नवरात्रि के सातवे दिन की जाती है इन्हे माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति भी कहा जाता है। कालरात्रि माँ की पूजा नवरात्रि के सातवे दिन की जाती है इन्हे माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति भी कहा जाता है। माता का स्वरुप बहुत ही आश्चर्यचकित और भयानक है परन्तु इनकी पूजा करने से हमेशा उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इसलिए इनको शुभंकरी भी कहा जाता है। इनकी पूजा करने से साधक भय से मुक्त हो जाता है। इन माता का रूप दुर्गा माँ ने राक्षसों का विनाश करने के लिए धारण था इसलिए इनका रूप सहास और वीरता का प्रतीक है। कालरात्रि माता स्वरुप / Kalratri Mata Swaroop अंधकार की तरह काला है मां का रूप और इन्होने गले में विधुत की माला धारण की है। माता
Katyayani Maa ( कात्यायिनी ) Puja Vidhi, Mantra, Stuti, Swaroop : Navratri 2022 Indian Festivals हिंदी by Pushkar Agarwal - 29th March 202030th September 20220 Katyayani Maa : नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायिनी की पूजा की जाती है। इनके जन्म के बारे में अलग अलग कहावत है स्कंद पुराण और वामन में। स्कंद पुराण में मान्यता है की देवी के यह स्वरूप का जन्म प्रभु के नैसर्गिक क्रोध के कारण हुआ था और वामन में यह लिखा गया है कि सभी देवताओ की शक्ति को मिलाकर माँ के यह स्वरुप का जन्म हुआ था । इनको यह स्वरुप कात्यायन ऋषि मुनि ने दिया था इसलिए इनका नाम कात्यायिनी अभिनिहित किया गया। इन्होने पार्वती के द्वारा अर्पित किये गए सिंह पर सवारी करके महिषासुर का विनास किया था। https://www.youtube.com/watch?v=LQ6zcui5byw माँ कात्यायिनी मंत्र / Katyayani Maa Mantra ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥ प्रार्थना और पूजा विधि चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहन । कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी
Skandamata ( स्कंदमाता ) Aarti, Mantra, Bhog in Hindi हिंदी Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 29th March 202021st May 20210 Skandamata: स्कंद माता की आरती चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर होती है। इन माता की सवारी सिंह होती है और इनकी गोद में छह मुख वाले स्कंदकुमार विराजमान होते है। इन माता की पूजा करके भक्तों को संतान की प्राप्ति होती है और माँ अपने आशीर्वाद से भक्तों के सारे दुश्मनों का सर्वविनाश कर देती है। इस सुन्दर अवसर पर आपको नीचे दिए मंत्रो का पूजा करने के वक्त जाप करना चाहिए और माँ की आरती विधि विधानों के साथ करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको माँ का आशीर्वाद मिलेगा और अपनी मनोकामनाओ की पूर्ति होगी। https://www.youtube.com/watch?v=paoY7I19nD4 स्कंदमाता का स्तुति मंत्र/ Skandamata ka stuti mantra या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ स्कंदमाता की प्रार्थना / Skandamata
Kushmanda Devi: Aarti, Bali, Mantra, Shlok, Upasana. Indian Festivals हिंदी by Pushkar Agarwal - 27th March 202021st May 20210 इस समस्त संसार को जन्म देने वाली माता कुष्माण्डा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है। माँ ने समस्त अंधकार का विनाश करके इस संसार की रचना की और सृष्टि की रचना करने के लिए ही इनका नाम कुष्माण्डा अभिहित किया गया और इसलिए भी इनको आदिशक्ति भी कहा गया है। माता की आठ भुजाएं है इनमें से सात हाथो में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। अंतिम हाथ में सभी निधियों और सिद्धियों को प्रदान करने वाली माला है। अपनी मंद, हल्की हँसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्माण्डा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी माँ कूष्माण्डा कहलाती हैं। इन देवी की सच्चे मन से पूजा
Chandraghanta Maa ( चंद्रघंटा ): Mantra, Aarti, Katha, Roop, Song. Indian Festivals हिंदी by Pushkar Agarwal - 26th March 202021st May 20210 माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। इन माँ का स्वरुप राक्षसों का खात्मा करने ले लिए जाना जाता है। वे अपने हाथो में गदा, धनुष , त्रिशूल अपने भक्तो के दुख संकट दूर करने के धारण किये रहती है और वह अपने सच्चे भक्त को यश, कीर्त, और शांति प्रदान करती है। आगे जानिए माता चंद्रघंटा के बारे में सब कुछ। माँ चंद्रघंटा का रूप माता चंद्रघंटा का स्वरुप अत्यंत शांति और सौम्यता प्रदान करने वाला है। इन्होने अपने 10 हाथो में कमल और कमडंल के अतिरिक्त अस्त-शस्त्र धारण किये हुए है। माता के माथे पर विराजमान चाँद इनकी पहचान है और इस अर्ध चन्द्रमा के वजह से ही इनका नाम चंद्रघंटा है । माता एवं इनकी सवारी का देह सोने के सामान प्रकाशवान है और इसी
ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini Maa) : मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप, कहानी, श्लोक, उपासना | हिंदी Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 24th March 202021st May 20210 माता ब्रह्मचारिणी की कहानी | Story of Brahmacharini Maa https://www.youtube.com/watch?v=ntDDwelkxOU इन माता का नाम ब्रह्मचारिणी इसलिए पड़ा क्योकि इन्होने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। इसकी वजह से इनका नाम तपश्चारिणी मतलब ब्रह्मचारिणी से अभिहित किया गया। ब्रह्मचारिणी शब्द ब्रह्म अर्थात् तपस्या और चारिणी अर्थात् तप का आचरण करने वाली से बना है। इन माता की पूजा अर्चना करने भक्तों को वैराग्य, सदाचार, तप, त्याग और संयम में विस्तार होता है। इन माता का स्वरुप बहुत ही ज्योतिर्मय और भव्य है। इनके बाएं हाथ में कमण्डल और दाएं हाथ में जप की माला होती है। देवी ने पूर्वजन्म में हिमालय के भवन में पुत्री के रूप में जन्म लिया और नारद जी की आज्ञा से भगवान शिव के लिए घोर तपस्या की थी। सिर्फ फूल -फल का भोजन करके इन्होने एक हजार साल बिताये और सो साल सब्ज़ियो के