139 आकर्षक हिंदी दिवस की कवितायें, शायरियाँ, स्लोगन – Hindi Diwas Par Kavita Shayari, Quotes, Slogan हिंदी Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 13th September 202022nd May 20210 Hindi Diwas Funny Poems हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी हैबहुत बोलनेवाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवालीगहने गढ़ाते जाओसर पर चढ़ाते जाओवह मुटाती जाएपसीने से गंधाती जाए घर का माल मैके पहुँचाती जाएपड़ोसिनों से जलेकचरा फेंकने को ले कर लड़ेघर से तो खैर निकलने का सवाल ही नहीं उठताऔरतों को जो चाहिए घर ही में हैएक महाभारत है एक रामायण है तुलसीदास की भी राधेश्याम की भीएक नागिन की स्टोरी बमय गानेऔर एक खारी बावली में छपा कोकशास्त्रएक खूसट महरिन है परपंच के लिएएक अधेड़ खसम है जिसके प्राण अकच्छ किए जा सकेंएक गुचकुलिया-सा आँगन कई कमरे कुठरिया एक के अंदर एकबिस्तरों पर चीकट तकिए कुरसियों पर गौंजे हुए उतारे कपड़ेफर्श पर ढंनगते गिलासखूँटियों पर कुचैली चादरें जो कुएँ पर ले जाकर फींची जाएँगीघर में सबकुछ है जो औरतों को चाहिएसीलन भी और अंदर की कोठरी में पाँच सेर सोना भीऔर संतान भी जिसका जिगर बढ गया हैजिसे वह मासिक पत्रिकाओं पर हगाया करती हैऔर जमीन भी जिस पर हिंदी भवन बनेगाकहनेवाले चाहे कुछ कहेंहमारी हिंदी सुहागिन है सती है खुश हैउसकी साध यही है कि खसम से पहले मरेऔर तो सब ठीक है पर पहले खसम उससे बचेतब तो वह अपनी साध पूरी करे। Hindi Diwas Short Poem राष्ट्रभाषा की व्यथा,दु:खभरी इसकी गाथ,क्षेत्रीयता से ग्रस्त है,राजनीति से त्रस्त है,हिन्दी का होता अपमान,घटता है भारत का मान,हिन्दी दिवस पर्व है,इस पर हमें गर्व है,सम्मानित हो राष्ट्रभाषा,’सबकी यही अभिलाषा,सदा मने हिन्दी दिवस,शपथ लें मने पूरे बरस,स्वार्थ को छोड़ना होगा,हिन्दी से नाता जोड़ना होगा,हिन्दी का करे कोई अपमान,कड़ी सजा का हो प्रावधान,हम सबकी यह पुकार,सजग हो हिन्दी के लिए सरकार। हम हिंदी हैं, हिंदी का हम सब को अभिमान हैंसारी भाषाएँ प्यारी हैं, पर हिंदी हमारी जान हैं जन में हिंदी, मन में हिंदी, हिंदी हो हर ग्राम मेंहिंदी का उपयोग करें हम अपने हर एक काम मेंएक सूर हैं , एक ताल हैं, एक हमारी तान हैंसारी भाषाएँ प्यारी हैं राजभाषा हैं ये हमारी, राष्ट्रीयता का प्रतीक हैंहिंदी का विरोध करना क्या यह बात ठीक हैं?हिंदी की जो निंदा करते, वे अब तक नादान हैंसारी भाषाएँ प्यारी हैं पूरब- पश्चिम, उत्तर – दक्खिन, हिंदी का हो शासन,हर नेता दिया करें, सिर्फ हिंदी में ही भाषणसारे विश्व में फैले हिंदी, हम सबका अरमान हैंसारी भाषाएँ प्यारी हैं. – डॉ. रज़्ज़ाक शेख ‘राही’ Hindi Diwas ki Poem हम सबकी प्यारी,लगती सबसे न्यारी। कश्मीर से कन्याकुमारी,राष्ट्रभाषा हमारी। साहित्य की फुलवारी,सरल-सुबोध पर है भारी।अंग्रेजी से जंग जारी,सम्मान की है अधिकारी। जन-जन की हो दुलारी,हिन्दी ही पहचान हमारी। अपने को आता हैबस इसमें ही रसवर्ष में मना लेतेएक दिन हिंदी दिवस मानसिकता पूर्णतया:इंगलिश की है‘लवली एटीकेट’ से ‘लव’‘प्यार फारेन डिश’ से है अपना पप्पू ‘टाप’ हैइस साल ‘कोचिंग क्लास’ मेंअब तो नाता उसके ‘फ्यूचर’और उसके ‘विश’ से है हिन्दी का ‘स्कोप’ क्या है?रह गया है कहाँ लसयही क्या कम है मनालेते हैं हम हिन्दी दिवस Hindi Diwas Ke Upar Kavita हिन्दी मेरा इमान हैहिन्दी मेरी पहचान हैहिन्दी हूँ मैं वतन भी मेराप्यारा हिन्दुस्तान है बढ़े चलो हिन्दी की डगरहो अकेले फिर भी मगरमार्ग की काँटे भी देखनाफूल बन जाएँगे पथ पर पड़ने लगती है पियूष की शिर पर धारा। हो जाता है रुचिर ज्योति मय लोचन-तारा। बर बिनोद की लहर हृदय में है लहराती। कुछ बिजली सी दौड़ सब नसों में है जाती। आते ही मुख पर अति सुखद जिसका पावन नामही। इक्कीस कोटि-जन-पूजिता हिन्दी भाषा है वही। -अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ( Hindi Diwas Par Kavita ) Hindi Diwas Kavita Poem करो अपनी भाषा पर प्यार । जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार ।। जिसमें पुत्र पिता कहता है, पतनी प्राणाधार, और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार । बढ़ायो बस उसका विस्तार । करो अपनी भाषा पर प्यार ।। भाषा विना व्यर्थ ही जाता ईश्वरीय भी ज्ञान, सब दानों से बहुत बड़ा है ईश्वर का यह दान । असंख्यक हैं इसके उपकार । करो अपनी भाषा पर प्यार ।। यही पूर्वजों का देती है तुमको ज्ञान-प्रसाद, और तुमहारा भी भविष्य को देगी शुभ संवाद । बनाओ इसे गले का हार । करो अपनी भाषा पर प्यार ।। – मैथिली शरण गुप्त ( Hindi Diwas Par Kavita ) एक डोर में सबको जो है बाँधतीवह हिंदी है,हर भाषा को सगी बहन जो मानतीवह हिंदी है।भरी-पूरी हों सभी बोलियांयही कामना हिंदी है,गहरी हो पहचान आपसीयही साधना हिंदी है,सौत विदेशी रहे न रानीयही भावना हिंदी है। तत्सम, तद्भव, देश विदेशीसब रंगों को अपनाती,जैसे आप बोलना चाहेंवही मधुर, वह मन भाती,नए अर्थ के रूप धारतीहर प्रदेश की माटी पर,‘खाली-पीली-बोम-मारती’बंबई की चौपाटी पर,चौरंगी से चली नवेलीप्रीति-पियासी हिंदी है,बहुत-बहुत तुम हमको लगती‘भालो-बाशी’, हिंदी है। उच्च वर्ग की प्रिय अंग्रेज़ीहिंदी जन की बोली है,वर्ग-भेद को ख़त्म करेगीहिंदी वह हमजोली है,सागर में मिलती धाराएँहिंदी सबकी संगम है,शब्द, नाद, लिपि से भी आगेएक भरोसा अनुपम है,गंगा कावेरी की धारासाथ मिलाती हिंदी है,पूरब-पश्चिम/ कमल-पंखुरीसेतु बनाती हिंदी है। – गिरिजा कुमार माथुर Hindi Diwas Best Poem हिंदी का सम्मान करो, यह हमारी राज भाषा, मिलाती देशवाशियों के दिलों को यह, पूरी करती अभिलाषा। देखो प्रेमचंद और भारतेन्दु के यह हिंदी साहित्य, जो लोगो के जीवन में ठहाको और मनोरंजन के रंग भरते नित्य| हिंदी भाषा की यह कथा पुरानी लगभग एक हजार वर्ष, जो बनी क्रांति की ज्वाला तो कभी स्वतंत्रता सेनानियों का संघर्ष| आजाद भारत में भी इसका कम नही योगदान, इसलिए हिंदी दिवस के रुप में इसे मिला यह विशेष स्थान| विनती बस यही हिंदी को ना दो तुम यह दोयम दर्जे का मान, हिंदी से सदा करो प्रेम तुम दो इसे विशेष सम्मान| रोज मनाओ तुम हिंदी दिवस बनाओ इसे अपना अभिमान, हिंदी है हमारी राजभाषा इसलिए दो इसे अपने ह्रदयों में विशेष स्थान| अंग्रेजी की माला जपकर ना करो हिंदी का अपमान, आओ मिलकर सब प्रण ले नित्य करेंगे हिंदी का सम्मान| ———– योगेश कुमार सिंह Also, See :- 37 बेहतरीन गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं 2020 हिंदी थी वह जो लोगो के ह्रदयों में उमंग भरा करती थी, हिंदी थी वह भाषा जो लोगो के दिलों मे बसा करती थी| हिंदी को ना जाने क्या हुआ रहने लगी हैरान परेशान, पूछा तो कहती है अब कहां है मेरा पहले सा सम्मान| मैं तो थी लोगो की भाषा, मैं तो थी क्रांति की परिभाषा, मैं थी विचार-संचार का साधन मैं थी लोगो की अभिलाषा| मुझको देख अपनी दुर्दशा आज होती है बड़ी निराशा, सुन यह दुर्दशा व्यथा हिंदी की ह्रदय में हुआ बड़ा आघात, बात तो सच है वास्तव में हिंदी के साथ हुआ बड़ा पक्षपात| हिंदी जो थी जन-जन की भाषा और क्रांति की परिभाषा, वह हिंदी कहती है लौटा दो उसका सम्मान यही हैं उसकी अभिलाषा| अपने ही देश में हिंदी दिवस को तुम बस एक दिन ना बनाओ, मैं तो कहता हुं हिंदी दिवस का यह त्योहार तुम रोज मनाओ| आओ मिलकर प्रण ले हम सब करेंगे हिंदी का सम्मान, पूरी करेंगे हिंदी की अभिलाषा देंगे उसे दिलों में विशेष स्थान| ———— योगेश कुमार सिंह ( Hindi Diwas Par Kavita ) Pages: 1 2 3 4 5 6 7 8 9