Shailputri: Mantra, Aarti, Puja, Katha. मां शैलपुत्री की पूजा, जानें व्रत कथा, मंत्र, आरती और भोग हिंदी Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 24th March 202021st May 20210 नवरात्रि का पहला दिन शैल पुत्री माता के पूजन के लिए होता। हिमालय पर्वत के भवन में बेटी के रूप में जन्म लेनी वाली कन्या को माता शैल पुत्री कहा जाता है। माँ शैल पुत्री की पूजा विधि ( Shailputri Puja Vidhi ) माता का स्वरुप बहुत ही शुभ और पवित्र मन जाता है। माता की सवारी वृषभ है और उनके एक हाथ में कमल तो दूसरे हाथ में त्रिशूल है। माँ शैल पुत्री पुरे हिमालय पर राज करती है। इनकी पूजा करने लिए इनके चित्र को चौकी पर लाल रंग का कपडा बिछाकर रखे और फिर इनके ऊपर केसर के माध्यम से शं लिखकर मनोकामना पूर्ति गुटिका रखे। फिर लाल रंग के पुष्पों को हाथ में लेकर माँ का दयान करे और इनके मंत्र को दोहराहे – ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम् शैलपुत्री देव्यै नम: | मंत्र के चलते ही फूलो को माँ की तस्वीर पर अर्पित करे और फिर माता का भोग लगाए। निचे दिए गए मंत्र का 108 बार जाप करे। https://www.youtube.com/watch?v=Ge1WNK54KLo इस मंत्र का जाप करे वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् | वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् || माँ शैल पुत्री का प्रसाद माँ शैल पुत्री को गाय का घी प्रसाद के रूप में अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से तन मन निरोग होने का आशीर्वाद मिलता है। माँ शैल पुत्री की कथा ( Maa Shailputri Katha in Hindi ) एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। इसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया, किन्तु शंकरजी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया। सती ने जब सुना कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहाँ जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा। अपनी यह इच्छा उन्होंने शंकरजी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद उन्होंने कहा- प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है। उनके यज्ञ-भाग भी उन्हें समर्पित किए हैं, किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। कोई सूचना तक नहीं भेजी है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहाँ जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।’ शंकरजी के इस उपदेश से सती का प्रबोध नहीं हुआ। पिता का यज्ञ देखने, वहाँ जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकरजी ने उन्हें वहाँ जाने की अनुमति दे दी। सती ने पिता के घर पहुँचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम के साथ बातचीत नहीं कर रहा है। सारे लोग मुँह फेरे हुए हैं। केवल उनकी माता ने स्नेह से उन्हें गले लगाया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे। परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को बहुत क्लेश पहुँचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहाँ चतुर्दिक भगवान शंकरजी के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का हृदय क्षोभ, ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा भगवान शंकरजी की बात न मान, यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है। वे अपने पति भगवान शंकर के इस अपमान को सह न सकीं। उन्होंने अपने उस रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। वज्रपात के समान इस दारुण-दुःखद घटना को सुनकर शंकरजी ने क्रुद्ध होअपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया। सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे ‘शैलपुत्री’ नाम से विख्यात हुर्ईं। पार्वती, हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था। शैल पुत्री की आरती ( Shailputri Aarti Lyrics ) शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार। शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी। पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे। ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू। सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी। उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो। घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के। श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं। जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे। मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो। Chaitra Navratri 2021 Dates 13 अप्रैल 2021: माता शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाएगी। 14 अप्रैल 2021: माता ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाएगी। 15 अप्रैल 2021 : माता चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाएगी। 16 अप्रैल 2021 : माता कूष्मांडा की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाएगी। 17 अप्रैल 2021: स्कंद माता की पूजा नवरात्रि के पांचवे दिन की जाएगी। 18 अप्रैल 2021: कात्यायिनी की पूजा नवरात्रि के छटवे दिन की जाएगी। 19 अप्रैल 2021: कालरात्रि की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाएगी। 20 अप्रैल 2021: महागौरी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाएगी। 21 अप्रैल 2021 : सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के नौवें दिन की जाएगी। और देखे :- Chaitra Navratri 2020: इस नवरात्रि में 400 सालों बाद बन रहा है ये महासंयोग |