139 आकर्षक हिंदी दिवस की कवितायें, शायरियाँ, स्लोगन – Hindi Diwas Par Kavita Shayari, Quotes, Slogan हिंदी Indian Festivals by Pushkar Agarwal - 13th September 202022nd May 20210 हिंदी हमारी सपनों की भाषा है , हिंदी हमारी अपनी भाषा है। तो आइये आज हम अपने दोस्तों को इस समृद्ध भाषा के प्रति जागरूक करते है इन 139 आकर्षक हिंदी दिवस की कवितायें, शायरियाँ , स्टेटस ( Hindi Diwas Par Kavita, Shayari, Status, Slogan, Quotes ) को शेयर करके। Hindi Diwas Par Kavita ये कैसी जग में हिंदी की दुर्दशा दोस्तों, ये क्यों हिंदी का है रोना अब हर सुबह ‘सन’ उगता है ओर दोपहर को कहते सब ‘नून’ चंदा मामा तो कहीं खो गये अब तो हर बच्चा बोले ‘मून’ ये कैसी जग में हिंदी की दुर्दशा दोस्तों, ये क्यों हिंदी का है रोना। मां बोलती, खालो बेटा जल्दी से नहीं तो डॉगी आजाएगा, अब ऐसे मे वो नन्हा बालक भला कुत्ते को कैसे जान पाएगा। बचपन से जो देखा हमने वही सीखते हैं हम जीवन में, जब विद्या लेने वो स्कूल है जाता तो विद्यालय कहां से जान पाएगा। ये कैसी जग में हिंदी की दुर्दशा है दोस्तों, ये क्यों हिंदी का है रोना। जनवरी, फरवरी तो याद हैं सबको पर हिंदी के माह सिलेबस में नहीं, ए, बी, सी तो सब हैं जानते पर क, ख, ग से हैं अंजान कई। हिंद देश के वासी हैं हम पर हिंदी से न कोई नाता है, ये कैसी जग में हिंदी की दुर्दशा दोस्तों, ये क्यों हिंदी का है रोना। भाषा का विज्ञान समझ लो, क्यों कि अब इंजीनियरिंग का है स्कोप नहीं हिंदी का ही ज्ञान तुम लेलो क्यों कि विदेशों मे है अब मांग बड़ी। चाहे दुनिया में जहां भी जाओ हिंदुस्तानी ही कहलाओगे, अगर पूछ ले कोई देश की भाषा तो, शर्म से पानी-पानी हो जाओगे। ये कैसी जग में हिंदी की दुर्दशा दोस्तों, ये क्यों हिंदी का है रोना। ———— कनक मिश्रा Also, See :- 63 बेहतरीन शिक्षक दिवस की शुभकामनाये Hindi Diwas Poem in Hindi हिन्दी-हिन्दु-हिन्दुस्तान, कहते है, सब सीना तान, पल भर के लिये जरा सोचे इन्सान रख पाते है हम इसका कितना ध्यान, सिर्फ 14 सितम्बर को ही करते है अपनी राष्टृ भाषा का सम्मान हर पल हर दिन करते है हम हिन्दी बोलने वालो का अपमान 14 सितम्बर को ही क्यों याद आता है बस हिन्दी बचाओं अभियान क्यों भूल जाते है हम हिन्दी को अपमानित करते है खुद हिन्दुस्तानी इंसान क्यों बस 14 सितम्बर को ही हिन्दी में भाषण देते है हमारे नेता महान क्यों बाद में समझते है अपना हिन्दी बोलने में अपमान क्यों समझते है सब अंग्रेजी बोलने में खुद को महान भूल गये हम क्यों इसी अंग्रेजी ने बनाया था हमें वर्षों पहले गुलाम आज उन्हीं की भाषा को क्यों करते है हम शत् शत् प्रणाम अरे ओ खोये हुये भारतीय इंसान अब तो जगाओ अपना सोया हुआ स्वाभिमान उठे खडे हो करें मिलकर प्रयास हम दिलाये अपनी मातृभाषा को हम अन्तरार्ष्टृीय पहचान ताकि कहे फिर से हम हिन्दी-हिन्दु-हिन्दुस्तान, कहते है, सब सीना तान, Hindi Diwas Poem अंग्रेजी में नंबर थोड़े कम आते हैं,अंग्रेजी बोलने से भी घबराते हैं,पर स्टाइल के लिए पूरी जान लगाते हैं,क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं,एक वक्त था जब हमारे देश में हिंदी का बोलबाला था,मां की आवाज में भी सुबह का उजाला था,उस मां को अब हम Mom बुलाते हैं,क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं,देश आगे बढ़ गया पर हिंदी पीछे रह गई,इस भाषा से अब हम नजर चुराते हैं,क्योंकि हम हिंदी बोलने से शर्माते हैं,माना, अंग्रेजी पूरी दुनिया को चलाती है,पर हिंदी भी तो हमारी पहचान दुनिया में कराती है,क्यों ना अपनी मातृभाषा को फिर से सराखों पर बिठाए,आओ हम सब मिलकर हिंदी दिवस मनाए। ( Hindi Diwas Par Kavita ) एक डोर में सबको जो है बांधती वह हिंदी है,हर भाषा को जो सगी बहन मानती वह हिंदी है,भरी-पूरी हो सभी बोलियां यही कामना हिंदी है,गहरी हो पहचान आपसी यही साधना हिंदी है,सोते विदेशी रह ने रानी यही भावना हिंदी है,तत्सम, तद्भव, देश विदेशी रंगों को अपनाती,जैसा आप बोलना चाहे वही मधुर वह मन भाती,नए अर्थ के रूप धारती हर प्रदेश की माटी पर,खाली पीली बोम मारती मुंबई की चौपाटी पर,चौरंगी से चली नवेली प्रीति प्यासी हिंदी है,बहुत-बहुत तुम हमको लगती भालो-बाशी हिंदी है,उच्च वर्ग की प्रिय अंग्रेजी हिंदी जन की बोली है,वर्ग भेद को खत्म करेगी हिंदी वह हमजोली है,सागर में मिलती धाराएं हिंदी सबकी संगम है,शब्द, नाद लिपि से भी आगे एक भरोसा अनुपम है,गंगा कावेरी की धारा साथ मिलाती हिंदी है,पूरब-पश्चिम कमल पंखुरी सेतु बनाती हिंदी है। ( Hindi Diwas Par Kavita ) Pages: 1 2 3 4 5 6 7 8 9