26 अटल बिहारी वाजपेयी की सबसे लोकप्रिये कविताएँ – Atal Bihari Vajpayee Poems हिंदी Famous Personalities by Pushkar Agarwal - 15th August 202022nd May 20210 Image Credit :- Inquilab Times कौरव कौन, कौन पांडव 5. कौरव कौनकौन पांडव,टेढ़ा सवाल है|दोनों ओर शकुनिका फैलाकूटजाल है|धर्मराज ने छोड़ी नहींजुए की लत है|हर पंचायत मेंपांचालीअपमानित है|बिना कृष्ण केआजमहाभारत होना है,कोई राजा बने,रंक को तो रोना है| और देखिये :- 37 बेहतरीन गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं 2020 क्षमा करो बापू! तुम हमको, बचन भंग के हम अपराधी 6. क्षमा करो बापू! तुम हमको,बचन भंग के हम अपराधी,राजघाट को किया अपावन,मंज़िल भूले, यात्रा आधी। जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,टूटे सपनों को जोड़ेंगे।चिताभस्म की चिंगारी से,अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे। कदम मिलाकर चलना होगा 7. बाधाएं आती हैं आएंघिरें प्रलय की घोर घटाएं,पावों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,निज हाथों में हंसते-हंसते,आग लगाकर जलना होगाकदम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफानों में,अगर असंख्यक बलिदानों में,उद्यानों में, वीरानों में,अपमानों में, सम्मानों में,उन्नत मस्तक, उभरा सीना,पीड़ाओं में पलना होगाकदम मिलाकर चलना होगा। उजियारे में, अंधकार में,कल कहार में, बीच धार में,घोर घृणा में, पूत प्यार में,क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,जीवन के शत-शत आकर्षक,अरमानों को ढलना होगा। कदम मिलाकर चलना होगा।सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,असफल, सफल समान मनोरथ,सब कुछ देकर कुछ न मांगते,पावस बनकर ढलना होगा।कदम मिलाकर चलना होगा। कुछ कांटों से सज्जित जीवन,प्रखर प्यार से वंचित यौवन,नीरवता से मुखरित मधुबन,परहित अर्पित अपना तन-मन,जीवन को शत-शत आहुति में,जलना होगा, गलना होगा।कदम मिलाकर चलना होगा। ( Atal Bihari Vajpayee Poems ) गीत नहीं गाता हूं 8. बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैंटूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूंगीत नहीं गाता हूं.. लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहरअपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूंगीत नहीं गाता हूं… पीठ मे छुरी सा चांद, राहू गया रेखा फांदमुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूंगीत नहीं गाता हूं गीत नया गाता हूं… टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वरपत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुरझरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रातप्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूंगीत नया गाता हूं… टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकीअन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकीहार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूंगीत नया गाता हूं… मनाली मत जइयो 9. मनाली मत जइयो, गोरीराजा के राज में। जइयो तो जइयो,उड़िके मत जइयो,अधर में लटकीहौ,वायुदूत के जहाज़ में। जइयो तो जइयो,सन्देसा न पइयो,टेलिफोन बिगड़े हैं,मिर्धा महाराज में। जइयो तो जइयो,मशाल ले के जइयो,बिजुरी भइ बैरिनअंधेरिया रात में। जइयो तो जइयो,त्रिशूल बांध जइयो,मिलेंगे ख़ालिस्तानी,राजीव के राज में। मनाली तो जइहो।सुरग सुख पइहों।दुख नीको लागे, मोहेराजा के राज में। Pages: 1 2 3 4 5