26 अटल बिहारी वाजपेयी की सबसे लोकप्रिये कविताएँ – Atal Bihari Vajpayee Poems हिंदी Famous Personalities by Pushkar Agarwal - 15th August 202022nd May 20210 एक बरस बीत गया 10. एक बरस बीत गया झुलासाता जेठ मासशरद चांदनी उदाससिसकी भरते सावन काअंतर्घट रीत गयाएक बरस बीत गया सीकचों मे सिमटा जगकिंतु विकल प्राण विहगधरती से अम्बर तकगूंज मुक्ति गीत गयाएक बरस बीत गया पथ निहारते नयनगिनते दिन पल छिनलौट कभी आएगामन का जो मीत गयाएक बरस बीत गया.. और देखिये :- 89 Patriotic Indian Independence Day Quotes in Hindi & English पंद्रह अगस्त की पुकार 11. पंद्रह अगस्त का दिन कहता —आज़ादी अभी अधूरी है।सपने सच होने बाकी है,रावी की शपथ न पूरी है।। जिनकी लाशों पर पग धर करआज़ादी भारत में आई।वे अब तक हैं खानाबदोशग़म की काली बदली छाई।। कलकत्ते के फुटपाथों परजो आँधी-पानी सहते हैं।उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त केबारे में क्या कहते हैं।। हिंदू के नाते उनका दु:खसुनते यदि तुम्हें लाज आती।तो सीमा के उस पार चलोसभ्यता जहाँ कुचली जाती।। इंसान जहाँ बेचा जाता,ईमान ख़रीदा जाता है।इस्लाम सिसकियाँ भरता है,डालर मन में मुस्काता है।। भूखों को गोली नंगों कोहथियार पिन्हाए जाते हैं।सूखे कंठों से जेहादीनारे लगवाए जाते हैं।। लाहौर, कराची, ढाका परमातम की है काली छाया।पख्तूनों पर, गिलगित पर हैग़मगीन गुलामी का साया।। बस इसीलिए तो कहता हूँआज़ादी अभी अधूरी है।कैसे उल्लास मनाऊँ मैं?थोड़े दिन की मजबूरी है।। दिन दूर नहीं खंडित भारत कोपुन: अखंड बनाएँगे।गिलगित से गारो पर्वत तकआज़ादी पर्व मनाएँगे।। उस स्वर्ण दिवस के लिए आज सेकमर कसें बलिदान करें।जो पाया उसमें खो न जाएँ,जो खोया उसका ध्यान करें।। – अटल बिहारी वाजपेयी ( Atal Bihari Vajpayee Poems ) Atal Bihari Vajpayee Kavita 12. आज़ादी का दिन मना,नई ग़ुलामी बीच;सूखी धरती, सूना अंबर,मन-आंगन में कीच;मन-आंगम में कीच,कमल सारे मुरझाए;एक-एक कर बुझे दीप,अंधियारे छाए;कह क़ैदी कबिरायन अपना छोटा जी कर;चीर निशा का वक्षपुनः चमकेगा दिनकर। Atal Bihari Vajpayee Poems in Hindi 13. अंतरद्वंद्वक्या सच है, क्या शिव, क्या सुंदर?शव का अर्चन,शिव का वर्जन,कहूँ विसंगति या रूपांतर?वैभव दूना,अंतर सूना,कहूँ प्रगति या प्रस्थलांतर? 14. जीवन की ढलने लगी सांझउमर घट गईडगर कट गईजीवन की ढलने लगी सांझ। बदले हैं अर्थशब्द हुए व्यर्थशान्ति बिना खुशियाँ हैं बांझ। सपनों में मीतबिखरा संगीतठिठक रहे पांव और झिझक रही झांझ।जीवन की ढलने लगी सांझ। Pages: 1 2 3 4 5